Koo: चार साल के संघर्ष के बाद बंद हो रहा है भारतीय माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म
भारतीय सोशल मीडिया और माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म Koo, जो ट्विटर का एक देशी विकल्प था, चार साल के संघर्ष के बाद बंद होने जा रहा है। यह फैसला संभावित अधिग्रहण वार्ता विफल होने और पर्याप्त फंडिंग न मिलने के बाद लिया गया है।
Koo की यात्रा:
- Koo की शुरुआत 2020 में हुई थी और इसे भारत में आत्मनिर्भरता के प्रतीक के रूप में पेश किया गया था।
- इसने 2021 में किसान आंदोलन के दौरान लोकप्रियता हासिल की थी, जब ट्विटर पर सरकार के साथ विवाद हुआ था।
- Koo ने 60 मिलियन डॉलर से अधिक का फंडिंग हासिल किया, जिसमें टाइगर ग्लोबल और एक्सेल जैसे प्रमुख निवेशक शामिल थे।
- 2024 में, Koo ने ब्राजील में अपनी सेवाओं का विस्तार किया।
बंद होने के कारण:
- Koo को संभावित खरीदारों को खोजने में कठिनाई हुई, जिनमें से कई यूजर्स द्वारा जनरेटेड कंटेंट और सोशल मीडिया की प्रकृति से सावधान थे।
- प्लेटफॉर्म को पर्याप्त यूजर्स और राजस्व प्राप्त करने में भी कठिनाई हुई।
- 2023 में, Koo ने 30% कर्मचारियों की छंटनी की, जो वित्तीय कठिनाइयों का संकेत था।
Koo के संस्थापक की टिप्पणी:
Koo के सह-संस्थापक, अप्रमेय राधाकृष्ण ने लिंक्डइन पर एक पोस्ट में कहा, “हमने कई बड़ी इंटरनेट कंपनियों, समूहों और मीडिया घरानों के साथ साझेदारी की खोज की, लेकिन इन वार्ताओं से वह परिणाम नहीं निकला जो हम चाहते थे।”
Koo का भविष्य:
Koo 10 अगस्त, 2024 को बंद हो जाएगा। प्लेटफॉर्म के यूजर्स का डेटा हटा दिया जाएगा।
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